Insurance शब्द से आप सभी भलीभांति परिचित ही होंगे क्योंकि अक्सर हमारे घरों में घर के अलग-अलग सदस्यों द्वारा विभिन्न प्रकार के insurance करवाए जाते हैं जिनमें Life Insurance, Health insurance, Money Back Insurance, पेंशन बीमा तथा वाहन बीमा और भी अनेक प्रकार के बीमा शामिल है। जिन लोगों के पास वाहन है उन्हें अपने वाहन के लिए Third Party Insurance कराना भारतीय मोटर वाहन अधिनियम के तहत अनिवार्य किया गया है। ऐसी स्थिति में मोटर वाहन के मालिक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाते हैं। वहीं दूसरी तरफ लोग अपने बुरे समय में Financial मदद के लिए तथा अपनी आकस्मिक मृत्यु के बाद परिवार की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के जीवन बीमा करवाते हैं।
आज के समय में भारत में करोड़ों लोग insurance करवा चुके हैं और हर दिन यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में भारतीय बीमा उद्योग का मार्केट बहुत बड़ा हो चुका है। इतने बड़े मार्केट में हर दिन अनेक सारे ऐसे मामले सामने आते हैं जो ग्राहक और कंपनी के बीच मतभेद पैदा करते हैं। कई बार कंपनियों की मनमानी देखने को मिलती हैं तो कहीं बाहर ग्राहकों किसी कंपनी की वजह से हानि में चला जाता है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार द्वारा बीमा उद्योग को operate करने के लिए एक संस्था बनाई गई है। इस संस्था का नाम भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण है। यह संस्था भारतीय बीमा उद्योग से संबंधित सभी गतिविधियों पर नजर रखती हैं और ग्राहक तथा कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बनाए रखती हैं।
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के अलावा भारत सरकार के कुछ कानून भी हैं जो बीमा उद्योग पर लागू होते हैं यानी अगर आप किसी भी प्रकार का कोई बीमा खरीदते हैं तो उसके ऊपर बीमा संस्था के अलावा भारत सरकार के कुछ नियम और कुछ धाराएं भी लागू होती है जिसके तहत company को और ग्राहक को वह नियम मांगने होते हैं। इसी बीमा उद्योग में Section 64VB महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस भारतीय संविधान के अनुच्छेद को insurance के तहत कंपनी और ग्राहक दोनों को इस धारा को मानना होता है। यह सेक्शन किया है तथा इंश्योरेंस के तहत यह section क्यों इतना महत्वपूर्ण है इसके बारे में आपका जानना जरूरी है तो आइए जानते हैं।
इंश्योरेंस सेक्शन 64VB इंश्योरेंस Act क्या है —
भारतीय बीमा उद्योग के अंतर्गत भारतीय संविधान के अंतर्गत insurance act की यह एक धारा है जिसे 64VB insurance act नाम से जाना जाता है। बीमा उद्योग के अंतर्गत यह एक महत्वपूर्ण भारतीय संविधान का एक्ट है जिसके बारे में बीमा कंपनी और बीमा ग्राहक को भली-भांति पता होना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि इस इंश्योरेंस एक्ट का नाम No risk to be assumed unless premium is received in advance होता है। अगर हम इसे आसान हिंदी भाषा में बताएं तो इसका अर्थ यह होता है कि “जब तक प्रीमियम अग्रिम रुप से प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक कोई जोखिम नहीं माना जाएगा” तो अब आप समझ गए होंगे कि इंश्योरेंस एक्ट 64vb क्या है।
भारतीय बीमा अधिनियम 138 की धारा 64VB के अंतर्गत यह प्रावधान है कि जब तक इंश्योरेंस की प्रीमियम राशि अग्रिम रूप से जमा नहीं हो जाती, तब तक कंपनी किसी भी तरह के जोखिम को स्वीकार या शुरू नहीं करेगी। यानी कि आपने किसी भी प्रकार का एक insurance खरीद कर रखा है और आपने उस इंश्योरेंस की मिनिमम प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं किया है तो उस राशि का भुगतान करने तक किसी भी तरह का जोखिम या हादसा होने पर कंपनी द्वारा उसका कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा। इसीलिए insurance के तहत एक समय सीमा और एक निश्चित प्रीमियम निर्धारित होता है कि इतने समय में इतने रुपए का प्रीमियम भरने के बाद किसी भी तरह का हादसा या जो कम होने पर कंपनी निर्धारित नियम और शर्तों के तहत भुगतान करेगी।
Insurance Section 64VB Meaning in Hindi 2025—
भारतीय संविधान के अंतर्गत इंश्योरेंस सेक्शन 64VB भारतीय इंश्योरेंस कंपनियों को यह छूट प्रदान करती है कि कंपनी द्वारा निर्धारित समय पर निर्धारित राशि को जमा करने तक अगर किसी भी प्रकार का हादसा या बीमा धारक का नुकसान होता है तो कंपनी द्वारा किसी भी तरह का भुगतान नहीं किया जाएगा। कंपनी ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं है तथा बीमा धारक भी भारतीय संविधान के इस सेक्शन के तहत insurance खरीदते समय निर्धारित नियम और शर्तों के तहत निश्चित समय और निश्चित राशि का प्रीमियम भुगतान करने से पहले किसी भी प्रकार के हादसे के बाद कंपनी को मुआवजा के लिए क्लेम नहीं कर सकता और ना ही कंपनी को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
अगर आपने किसी भी प्रकार का बीमा खरीदा है या आप कोई भी बीमा खरीदना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको बीमा खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखना है कि कितने समय बाद तथा कितना प्रीमियम भुगतान करने के बाद आप बीमा कंपनी से क्लेम लेने के लिए पात्र होंगे। इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना है यह सेक्शन इसी बात को प्रमाणित करता है इसी बात की व्याख्या करता है। आमतौर पर लाइफ insurance के तहत एलआईसी द्वारा 3 वर्ष और 3 किस्तों का समय दिया जाता है। पॉलिसी के तहत निर्धारित की गई प्रीमियम राशि का भुगतान 3 वर्ष तक करने के बाद अगर किसी बीमा धारक के साथ हादसा होता है तो कंपनी को क्लेम कर सकते हैं और कंपनी द्वारा भुगतान भी किया जाता है।
Conclusion
आज के समय में करोड़ों लोग विभिन्न प्रकार के बीमा खरीद रहे हैं जिनमें वाहन बीमा के अलावा जीवन बीमा स्वास्थ्य, बीमा पेंशन, बीमा मनी बैक पॉलिसी तथा विभिन्न प्रकार के इंश्योरेंस शामिल है। सीनियर सिटीजन बुढ़ापे में अपने बेहतर जीवन यापन के लिए पेंशन बीमा करवाते हैं। माता पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए चिल्ड्रन पॉलिसी या मनी बैक पॉलिसी का प्लान खरीदते हैं। जबकि नौकरी पेशा व्यक्ति और दूसरे व्यक्तियों द्वारा स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा तथा और भी दूसरे विभिन्न प्रकार के insurance खरीदे जाते हैं, ऐसी स्थिति में कंपनी और ग्राहक के बीच पॉलिसी खरीदते समय एक एग्रीमेंट साइन होता है। कुछ नियम और शर्तों पर हस्ताक्षर होते हैं जिसमें भारतीय संविधान का सेक्शन 64VB भी शामिल है।
इस सेक्शन के तहत कंपनी द्वारा निर्धारित मिनिमम समय और मिनिमम प्रीमियम राशि का भुगतान करने से पहले कोई भी ग्राहक कंपनी को क्लेम करने के लिए आवेदन नहीं कर सकता। निश्चित समय से पहले प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं करने तक कोई भी ग्राहक कंपनी से क्लेम लेने के लिए पात्र नहीं होगा। इस बात की व्याख्या भारतीय संविधान के सेक्शन 64vb में की गई है। तो उम्मीद करते हैं यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी तथा अगर आपका कोई आर्टिकल से संबंधित प्रश्न है? तो कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं।